सरकार जान बूझ कर लोकतान्त्रिक सस्थाओं को नष्ट करने का काम कर रही है,
क्या कोई राजनैतिक नेता पूरे देश को मुसीबत में डालने वाले फैसले बिना किसी से पूछे कर सकता है ?
कोई भी प्रधानमंत्री मनमर्जी से बेवकूफी से भरे फैसले ना कर सके इसके लिए लोकतंत्र में प्रधान मंत्री को सलाह देने और उसके फैसलों पर नजर रखने के लिए कुछ संस्थाएं बनायी गयी थीं,
लेकिन यह सरकार उन सभी संस्थाओं को नष्ट कर रही है,
आपको याद ही होगा कि इस सरकार ने सत्ता में आते ही योजना आयोग को समाप्त कर दिया था.
योजना आयोग इस देश के विकास की दिशा तय करने के लिए बनायी गयी संस्था थी.
योजना आयोग नष्ट करने का अर्थ था कि यह सरकार मिलजुल कर चर्चा करके सबकी राय लेकर योजना बनाने और उस पर अमल में यकीन ही नहीं करती,
बल्कि यह सरकार सबसे बड़े अक्लमंद प्रधान मंत्री के आदेश से चलेगी,
इसी तरह इस सरकार के प्रधान मंत्री नें रिजर्व बैंक को बेकार की संस्था घोषित किया,
प्रधानमंत्री ने जिस तरह से बिना रिजर्व बैंक से सलाह लिए नोटबंदी की घोषणा करी वह भयानक थी,
हम यह देख कर दंग थे कि रिजर्व बैंक प्रधान मंत्री की मीटिंग के शहर देख कर वहाँ के एटीएम में पैसे भरने के काम में लगा हुआ था,
रिजर्व बैंक का काम प्रधान मंत्री को चुनाव में जिताना तो नहीं है,
अभी रिजर्व बैंक के अट्ठारह हज़ार कर्मचारियों और अधिकारियों नें अपनी इज्ज़त खराब करने से नाराज़ होकर एक चिट्ठी गवर्नर को लिखी है,
प्रधानमंत्री अगर कोई खराब निर्णय लेता है तो संसद उससे सवाल पूछ सकती है,
लेकिन इस प्रधान मंत्री ने संसद में जाना बंद कर दिया,
अब सेना को भाजपा के लिए वोट बटोरने के काम पर लगाया जा रहा है,
सेना में जिस तरह से सेनाध्यक्ष के पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति करके अपने मनपसन्द के व्यक्ति को बैठाया गया,
और अब सिपाहियों की शिकायतों को कुचल कर सेना को एक क्रूर और भ्रष्ट संस्था बनाने की कोशिश करी जा रही है,
वह भारत के अपने लिए नुकसानदायक साबित होगी,
भारत की सरकार अगर सबकी राय से योजना नहीं बनायेगी,
सरकार के कामकाज पर संसद में चर्चा नहीं होगी ,
तो फिर लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा ?
यह सरकार चाहती है कि जनता मान ले कि लोकतंत्र का मतलब है कि आप वोट डालिए और जाकर सो जाइये,
और पांच साल आँख खोल कर मत देखिये कि सरकार क्या क्या कर रही है ?
अभी प्रधानमंत्री कहते हैं कि आपको कोई भी शिकायत हो तो आप नरेंद्र मोदी एप में शिकायत भेजिए,
बिलकुल गलत बात है ये तो,
भारत का प्रधान मंत्री क्या कोई राजा है जो जनता की शिकायतें सुनेगा और खुद हुकुम देकर उसे हल करेगा ?
भारत के हर थाने, हर अदालत, हर सरकारी कार्यालय को सही काम करना पड़ेगा, प्रधान मंत्री के पास किसी को जाने की ज़रूरत क्यों हो ?
लेकिन आप देश की व्यवस्था को नष्ट करके खुद को भगवान् के रूप में पेश कर रहे हैं,
यह तानाशाही का तरीका है,
इसे ठीक से समझिये और इसके बारे में दूसरों को समझाइये,
लोकतंत्र आपकी ताकत है,
जनता की इस ताकत को अपने हाथ से निकलने मत दीजिये
—Himanshu Kumar