जी हाँ चार साल पहले मई 2014 में राजनीति के एवरेस्ट पर फतह हासिल करने के बाद अर्थात अभूतपूर्व सांसद संख्या बल के साथ मोदी सरकार का आगाज़ हुआ था l यहाँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एवरेस्ट पर स्थाई प्रवास नहीं किया जा सकता क्योंकि यहाँ मौसम बहुत तेज़ी से बदलता रहता है और अंततः नीचे आना ही पड़ता है l इसका जीता–जगता उदहारण मई 2014 और मई 2018 में बीजेपी के सांसदों की लोकसभा में संख्या के रूप में देखा जा सकता है l
मोदी सरकार असल में तीन तरह के भक्तों की सरकार है l पहला स्थाई भक्त दूसरा मज़बूरी वाला या समयानुसार वाला भक्त और तीसरा अंध भक्त l इन तीनों भक्त समूहों पर मई 2014 तक मोदी सरकार की पूरी पकड़ थी l लेकिन मई 2018 आते–आते अर्थात पिछले चार सालों में दूसरी और तीसरी श्रेणी के भक्त समूहों पर मोदी सरकार की पकड़ निश्चित रूप से कमज़ोर हुई है, इसका प्रमाण मई 2014 और मई 2018 में बीजेपी के सांसदों की लोकसभा में संख्या के रूप में भी देखा जा सकता है l निश्चित रूप से मोदी सरकार को इस पर मंथन नहीं शोध करना चाहिए l
पिछले चार सालों में देश की जनता ने मोदी सरकार द्वारा प्रदत्त बाढ़ और सूखा दोनों के दर्शन कर लिए हैं l उदारहरण के लिए बाढ़ के रूप में बेतहाशा सरकारी घोषणाएं, जवानों की शहादत में बेतहाशा बृद्धि , सीमा पर पाकिस्तानी कार्यवाही में बेतहाशा बृद्धि , काश्मीर में आतंकवादियों के सफाये में बृद्धि, नक्सली हमले में बृद्धि , नक्सलियों के सफाये में बृद्धि, अपराध और बलात्कार में बृद्धि इत्यादि तो दूसरी तरफ सरकारी घोषणाओं के परिणाम के क्षेत्र में भी लगभग सूखा ही देखने को मिला, रोज़गार क्षेत्र में सूखा, मध्यम और छोटे व्यापारियों के क्षेत्र में सूखा इत्यादि l अर्थात पिछले चार साल में कभी भी खुशनुमा मौसम नहीं मिला l शायद यही कारण हैं कि दूसरे और तीसरे श्रेणी के भक्तों कि संख्या में कमी आयी है, इसको भी मई 2014 और मई 2018 में बीजेपी के सांसदों की लोकसभा में संख्या के रूप में देखा जा सकता है l
हर नई सरकार से देश का हर वर्ग प्रभावित होता है और इस प्रकार पिछले चार सालों में भी देश का हर वर्ग प्रभावित हुआ है यहाँ मोदी सरकार का यह काम बनता है कि वो आकलन करें कि कौन सा वर्ग कितना और किस प्रकार प्रभावित हुआ है साथ ही यहाँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू पर मंथन ज़रूरी है l
पिछले चार सालों में मोदी सरकार ने देश में प्रचलित अनेक मुहावरों (जैसे : जो बोयेगा वही काटेगा , जैसी करनी वैसी भरनी , अपने मुहं मियां मिट्ठू बनना , अब पछताए क्या होये जब चिड़िया चुग गयी खेत आदि ) को चरितार्थ किया है तथा कुछ को कर रहें हैं और आशा है कुछ को भविष्य में ज़रूर चरितार्थ करेंगें l
मोदी सरकार का गाय प्रेम अदभूत है लेकिन उससे भी अदभूत उनका गाय को राष्ट्रीय पशु ना घोषित करना है जबकि यह पूर्ण बहुमत वाली सरकार है l हर भारतीय जो गाय प्रेमी है विशेष कर हिन्दू उसको इस पर मंथन ज़रूर करना चाहिए l
कर्णाटक के मतदाता पूरी तरह तैयार हैं मोदी सरकार के उनके चार साल के कार्यकाल का तोहफा देने के लिए l क्योंकि कर्णाटक विधान सभा के चुनाव परिणाम मई 2018 में ही आने वाले हैं और यह परिणाम निश्चित रूप से मोदी सरकार को चौकानें वाले होंगें l
बीजेपी सांसद हेमामालिनी को अपनी एक हिट हिंदी फिल्म का एक हिट गाना “बातें काम कर काम ज्यादा-ज्यादा, काम से होगा नाम ज्यादा -ज्यादा ” ज़रूर से मोदी सरकार को सुनाना चाहिए l
मोदी का विरोध करने वाले राजनीतिज्ञों को मोदी से राजनीति में सफलता के गुर सिखने चाहिए और जो मतदाता अपने को छला हुआ महसूस कर रहें हैं उनको अपने पिछले निर्णय पर मंथन करना चाहिए ताकि भविष्य में उनको अपने निर्णय पर पश्याताप न करना पड़े l
लिखने को बहुत कुछ है लेकिन परिस्तिथियाँ इसकी अनुमति नहीं दे रहीं हैं l जय हिन्द …!