मै उत्तरप्रदेश के चुनावों के समय से ही यह कह रहा हूँ कि केन्द्रीय राजनीति में, सत्ताधारी राजनीतिक दल के इशारे पर, उनकी सुविधा को ध्यान में रखकर ही, निर्वाचन आयोग, फैसले करता है, इसका दूसरा उदाहरण है चुनाव आयोग द्धारा कल बृहश्पतिवार 12 अक्टूबर को सायंकाल की गयी हिमाँचल प्रदेश चुनावी कार्यक्रम की घोषणा ।
चुनाव आयोग चाहता तो गुजरात प्रदेश चुनावी कार्यक्रम की घोषणा भी साथ में कर सकता था या फिर फिर दोनों राज्यों के चुनावों की घोषणा थोड़े दिन बाद साथ-साथ की जा सकती थी , चूँकि योगी और मोदी के गुजरात दौरों की तारीखें निश्चित थीं इसलिये उनकी सुविधा को ध्यान में रखकर चुनाव आयोग नें गुजरात प्रदेश विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा स्थगित कर दी और दूसरी तरफ केंद्रीय राजनीति के दूसरे प्रमुख विपक्षी दल के प्रमुख नेता और स्टार प्रचारक का आगामी दौरा हिमांचल प्रदेश में था इसलिये बाधा पहुँचाने की नियत से हिमाँचल प्रदेश विधान सभा चुनाव कार्यक्रम की तारीखों का एलान कर दिया गया।