चाहे नोटबन्दी हो या जीएसटी, रेल किराये में बढ़ोत्तरी हो या विदेशी निवेश,
बगुला भगत लोग मोदी के समर्थन में अपनी जान देने के लिये तैयार हैं,
आखिर युवाओं की ऐसी क्या मजबूरी है जो उन्हें बगुला भगत बना देती है,
असल में बगुला भगत लोग को लगता है मोदी की हार मतलब मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों की जीत है, और मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को दुश्मन बताने का काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 9O साल से किया है, मेरी बगुला भगत लोग से नोटबन्दी पर बात हुई, जब मैनें भक्त को सभी तरह से घेरकर मनवा लिया कि नोटबन्दी से ना तो आतंकवाद पर रोक लगेगी, ना काले धन पर ना अमीरों को कोई नुकसान होगा, तो बगुला भगत लोग ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाला, बोला तो क्या गुरु तेग बहादुर को आरे से चिरवा देने वाले मुगलों की तरफ हो जाऊं -? यानि मोदी के विरोध का मतलब है मुगलों का समर्थन, यह अलग बात है कि भारत के मुसलमानों का मुगलों से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन बगुला भगत लोग के दिमाग में यह अच्छे से बैठा दिया गया है कि मोदी का साथ छोड़ा तो मुसलमानों का राज आ जायेगा, नेहरू परिवार को मुसलमान घोषित करने वाले मेसेज फैलाये जा रहे हैं, संघ ने यह प्रचार करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी है कि मोदी के अलावा हर पार्टी और नेता मुसलमानों और कम्युनिस्टों की तरफ हैं और ये लोग आतंकवादी व देशद्रोही हैं, पूरी राजनीति को ऐसी झूठी ज़मीन पर किया जा रहा है, जहां रोज़गार और बराबरी की राजनीति गायब है और झूठा प्रचार राजनीति बन गया है, यह धारणाओं का युद्ध है, हमें धारणाओं और झूठ के काले बादलों को उड़ाने के लिये युवाओं को सच्ची जानकारी देनी पड़ेगी, इस काम के लिये दिमाग में एक योजना है, जल्द ही साथियों के साथ इस पर चर्चा शुरू करी जायेगी और उसे ज़मीन पर शुरू किया जायेगा