फैसला भारत की न्यायायिक व्यवस्था का एक और उजला अध्याय है और इससे साबित होता है की गरीबों-मजलूमों के लिये अभी भी रौशनी की उम्मीद ख़तम नहीं हुई है । आस्था के मेरु पर स्थापित होनें के बाद डेरा प्रमुख जिस प्रकार के आरोप में दोषी पाए गये हैं उसमें इन्हें सख्त-से-सख्त सजा सुनायी जानीं चाहिये, डेरा प्रमुख पर आरोप सिद्ध होनें और उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों के उन्माद और हिंसा के लिये सरकार की लापरवाही ही जिम्मेदार है, लोलुप योग गुरू व्यवसायी लाला रामदेव की रामलीला मैदान दिल्ली में हुई तत्कालीन गिरफ्तारी में प्रशासन की सजगता से किसी बड़े जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था , यदि ये सरकार भी चाक-चौबंद व्यवस्था रखती तो जान-माल का इतनें बड़े पैमानें पर नुकसान होनें से बचा जा सकता था